वन अधिकार के तहत किसानों को नहीं मिल रहा है पट्टा.
लातेहार, मो०अरबाज.
लातेहार/चंदवा : अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के गांवों में विरोध कार्रवाई करने के देशव्यापी अह्वान पर झारखंड राज्य किसान सभा ने कामता पंचायत में सभा का आयोजन किया, अध्यक्षता सनिका मुंडा ने की, किसान सभा के जिला अध्यक्ष अयुब खान ने सभा मे शामिल किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि आज दिल्ली के जंतर – मंतर में देश के सभी राज्यों की राजधानी और गांव कस्बों में मजदूर विरोधी श्रम संहिता और किसान विरोधी कृषि कानून थोपने के खिलाफ किसान विरोध कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि हाल ही में घोर अलोकतांत्रिक तरीके से जिस तरह कृषि कानूनों को पारित घोषित किया गया है, उससे साफ है कि केंद्र की भाजपा नेतृत्व वाली नरेंद्र मोदी सरकार को न तो संसदीय जनतंत्र की परवाह है और न ही देश के संविधान पर कोई आस्था है, इस सरकार ने देशी – विदेशी कॉरपोरेटों के आगे घुटने टेकते हुए देश की अर्थव्यस्था और खाद्यान्न बाजार को इनके पास गिरवी रख दिया है, ताकि ये आम जनता को लूटकर अधिकतम मुनाफा कमा सके, केंद्र सरकार के तीनों कानूनों को भले ही सरकार किसान हित में बता रही है लेकिन ये अन्नदाता किसान हित में है नहीं, किसान इन कानूनों से मजदूर बनकर रह जायेगा, यह बिल आम किसान के लिए नहीं बल्कि कॉरपोरेट हाउस के लिए है इसलिए किसान इस बिल का विरोध कर रहे हैं।
वन पट्टा के लिए किसान परेशान हैं, इसके लिए कई बार वे प्रकृया को पुरा कर वन अधिकार के तहत दावा कर चुके हैं लेकिन उनके दावों आवेदनों पर कार्रवाई नहीं हो रही है, दसकों से जंगल में काबिज होने के बाद भी पट्टा को लेकर किसान कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, ये स्थितियां तब हैं जब आदिवासी दलित परिवारों को वन अधिकार के तहत पट्टे देने के लिए निर्देश खुद मुख्यमंत्री दे चुके हैं, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने वन अधिकार के तहत किसान परिवारों को पट्टे दिए जाने के लिए निर्देश जारी किए थे, सभा में झारखंड सरकार से भी मांग की है कि केंद्र सरकार के कृषि विरोधी कानूनों को निष्प्रभावी करने के लिए पंजाब सरकार की तर्ज पर एक सर्वसमावेशी कानून बनाये, जिसमें किसानों की सभी फसलों, सब्जियों, वनोपजों और पशु – उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत का डेढ़ गुना दाम घोषित करने, मंडी के अंदर या बाहर और गांवों में सीधे जाकर समर्थन मूल्य से कम कीमत पर खरीदना कानूनन अपराध होने और ऐसा करने पर जेल की सजा होने, ठेका खेती पर प्रतिबंध लगाने और खाद्यान्न वस्तुओं की जमाखोरी पर प्रतिबंध लगाने का स्पष्ट प्रावधान हो, साथ ही किसानों को दो लाख रूपए तक की कृषि ऋण माफ करने की मांग की गई।
दिल्ली जंतर – मंतर पर प्रदर्शन करने जा रहे किसानों को रोकने के लिए राज्यों के बॉर्डर में पुलिस द्वारा किसानों पर शख्ती बरतने, उनपर आंसू गैस के गोले छोड़ने, वॉटर कैनन, पानी की बौछार का इस्तेमाल किए जाने की निंदा की गई है, सभा को दसवा परहैया, अनिल मुंडा ने भी संबोधित किया, इस अवसर पर पुर्व पंचायत समिति सदस्य फहमीदा बीवी, दसवा परहैया, अनिल मुंडा, सोमरी देवी, थोमस टोपनो, सीमॉन भेंगरा, जगवा परहैया, रंगवा परहैया, सनिचर परहैया, देवाली परहैया, रतिया नगेशीया, बुधराम बारला, सुखु हेरेंज, हिरा बारला, चरियो टोपनो, एतवा मुंडा, चमरी देवी, बसंती देवी, सुंदरी देवी, बोने मुंडा, अमीत भेंगरा सहित बड़ी संख्या किसान शामिल थे।