Durga Puja 1460028240

आज से नवरात्र महापर्व का शुभारंभ.

Team Drishti,

नवरात्र के महापर्व का शुभारंभ आज से हो गया है. आज नवरात्र का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित होता है. पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण मां को शैलपुत्री कहा जाता है. मां यह स्‍वरूप बेहद शांत, सौम्‍य और प्रभावशाली है. आज नवरात्र के पहले दिन घटस्‍थापना की जाती है और मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है.

Shailputri First

मां शैलपुत्री के स्वरूप की बात करें तो मां के माथे पर अर्ध चंद्र स्थापित है. मां के दाहिने हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में कमल का फूल है. उनकी सवारी नंदी बैल को माना जाता है, इसलिए मां का एक नाम वृषारूढ़ा भी है. देव सती ने जब पुर्नजन्‍म लिया तो वह पर्वतराज हिमालय के घर में जन्‍मी और शैलपुत्री कहलाईं. मान्यता है कि नवरात्रि में पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति को चंद्र दोष से मुक्ति मिल जाती है.

Shailputri

मां दुर्गा की षोड्शोपचार विधि से पूजा की जाती है. मां शैलपुत्री की पूजा में सभी नदियों, तीर्थों और दिशाओं का आह्वान किया जाता है. पहले दिन से आखिरी नवें दिन तक रोजाना घर में कपूर जलाना चाहिए, इससे आपके घर की नकारात्‍मक ऊर्जा का नाश होता है. मां शैलपुत्री का मंत्र इस प्रकार है.
या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।

पर्वत की पुत्री होने के कारण मां को शैल के समान यानी सफेद वस्‍तुएं अतिप्रिय हैं. इसलिए मां की पूजा सफेद फूलों से की जाती है. मां को सफेद वस्‍त्रों के साथ भोग में भी सफेद मिष्‍ठान अर्पित किए जाते हैं. मां शैलपुत्री की पूजा करने से कुंवार कन्‍याओं को सुयोग्‍य वर की प्राप्ति होती है. मां का यह रूप हमें अपने फैसलों पर अडिग रहने के लिए प्रेरित करता है. शैल का अर्थ होता है पत्‍थर और पत्‍थर को सदैव अडिग माना जाता है.

Durr

अगर आप या आपके घर में कोई 9 दिन नवरात्र के व्रत रखता है तो उसे रोजाना कम से कम एक कन्‍या को भोजन जरूर करवाना चाहिए. वैसे तो नवरात्र को पहले दिन एक, दूसरे दिन दो और फिर तीसरे दिन दोगुनी कन्‍याओं को खिलाने का विधान है. लेकिन ऐसा संभव न हो तो कम से कम एक कन्‍या को तो भोजन जरूर करवाना चाहिए.

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