Ganesh Karmali

बड़े भाई ने छोटे भाई के नाम पर की नौकरी, हो गई मौत, अब अपने ही जीवित होने का प्रमाण ढूंढ़ रहा गणेश

अपने वो 90 के दसक में चल रही चला मुसाडी ऑफिस ऑफिस तो जरूर देखा होगा इस सीरियल के एक एपिसोड में मुशदी लाल अपने ही जीवित रहने का प्रमाड पत्र मुशदी लाल को सरकारी कर्मचारियों को देने पड़ता है, खैर अगर अपने वो सीरियल नहीं देखा है तो आज हम आपको उसी सीरियल का वो जीवन प्रमाड पत्र वाला एपिसोड झारखण्ड में दिखेंगे,बस शरत यही है की हमारा किरदार बिलकुल असल और जीवित है , घटना रामगढ़ जिले के गोला प्रखंड स्थित डिमरा गांव का है। डिमरा निवासी गणेश करमाली भी मुशदी लाल के एपिसोड की तरह ही जीवित है, लेकिन उसे खुद के जीवित होने का प्रमाण पत्र चाहिए। इसी बिषय में पीड़ित गणेश करमाली ने गोला प्रखंड के बीडीओ को आवेदन देकर अपने जीवित रहने का प्रमाण पत्र निर्गत करने की गुहार लगाई है।
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बात कुछ ऐसी है की बड़े भाई ने छोटे भाई के नाम पर बिना बताए CCL में नौकरी की थी,अब उनकी मौत हो गई है, गणेश करमाली ने बताया कि उसके बड़े भाई दुखु करमाली की मौत इसी वर्ष 29 अप्रैल को हुई थी जिसके बाद उसके पुत्र सुरेन्द्र करमाली ने अपने पिता दुखु करमाली की जगह पर गणेश करमाली बताकर मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन दिया,आवेदन में पंचायत प्रतिनिधि मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, उप प्रमुख, वार्ड सदस्य और आंगनबाड़ी सेविका ने सत्यापन भी कर दिया। उसमें कहा गया है कि गणेश करमाली-2 की मौत हो गई है।

बड़े भाई ने छोटे भाई के नाम पर की नौकरी, हो गई मौत, अब अपने ही जीवित होने का प्रमाण ढूंढ़ रहा गणेश
आवेदन

जांच के लिए जब पहुंचा कर्मचारी तो हुआ खुलासा
आवेदन के सत्यापन जांच के लिए गांव पहुंचे पंचायत सेवक अर्जुन महली को गणेश करमाली के पुत्र ने बताया कि उसके पिता जीवित हैं और वे घर पर हैं।गणेश करमाली ने पंचायत सेवक को भी बताया कि वह जीवित हैं और उसके बड़े भाई दुखु करमाली की मौत अप्रैल में हुई थी। गणेश करमाली से पंचायत सेवक ने सुरेंद्र करमाली से पिता गणेश करमाली के मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए दिए आवेदन में लिखवाया कि वह जीवित हैं और उनके बड़े भाई दुखु करमाली की मौत हो गई है।
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अब गणेश करमाली प्रखंड कार्यालय का चक्कर अपने ही जीवित होने के प्रमाण पत्र के लिए काटने पर मजबूर है।उन्होंने बताया कि काफी वर्षों के बाद उन्हें पता चला है कि उनके बड़े भाई दुखु करमाली ने उनके नाम से सीसीएल भुरकुंडा में 35 वर्षों तक नौकरी की।रिटायर्ड होने के बाद उन्होंने पेंशन भी पाया और अब पेंशन उनकी पत्नी को मिले, इसलिए मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन दिया गया है। गौरतलब है की पंचायत कर्मी भी अपने काम को काम नहीं बस किसी भी तरह पैसा मिल जाए उसके चक्कर में रहते है खैर अब देखने वाली बात ये होगी की क्या गणेश करमाली अपने जीवित होने का साबुत अपने जीते जी पाएगा या फिर सैकड़ो केसेस की तरह ये भी ठन्डे बास्ते में चला जाएगा।
आकाश शर्मा रामगढ,
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