Smartselect 20210323 190838 Gallery 1

अपनी भाषा, बोली में समझ रहे टीकाकरण का महत्व , संचार माध्यमों का उपयोग कर किया जा रहा जागरूक.

रांची : पश्चिमी सिंहभूम के मझगांव प्रखंड स्थित एक घर के एक बड़े आंगन में करीब 20 महिलाएं बैठीं हैं। ये महिलाएं जेएसएलपीएस सखी मंडल, आंगनबाड़ी सेविका, साहिया दीदी हैं। जिन्हें वर्तमान में वैक्सीन सोशल मोबिलाईजर के नाम से जाना जाता है। वे उसी गांव की हैं और सरकार द्वारा टीकाकरण को लेकर दी गईं अलग-अलग जिम्मेवारियों को निभा रहीं हैं। वे यहां बैठकर आसपास के क्षेत्र में चलाए जाने वाले टीकाकरण जागरूकता अभियान की योजना बना रहीं हैं, ताकि वहां के लोगों को टीकाकरण के प्रति जागरूक किया जा सके। ये सभी टीकाकरण के फायदे अपनी बोली, भाषा में समझाने की जुगत में लगी हैं, क्योंकि यहां की बड़ी आबादी हिंदी कम बोलती है। यही कार्य राज्य के अन्य प्रमंडलों में किया जा रहा है ताकि टीकाकरण अभियान को और गति मिल सके।

मुख्यमंत्री ने किया जागरूक
मुख्यमंत्री सक्रियता से जागरूकता अभियान का हिस्सा बने। उन्होंने टीका लिया और इससे संबंधित वीडियो भी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जारी किया। इस वीडियो को व्यापक रूप से सामाजिक मीडिया पर परिचालित किया गया, जो इस जन आंदोलन में एक बूस्टर के रूप में काम किया। मुख्यमंत्री ने अपील में लोगों से कहा कि वे बिना किसी हिचकिचाहट के वैक्सीन लें । वे अपने परिवार के अन्य लोगों को भी टीकाकरण के लिए प्रेरित करें। हमारे राज्य को संक्रमण से बचाने के लिए हर किसी को जल्द से जल्द टीका लगाना चाहिए । टीकाकरण से कोई नुकसान नहीं होता ।

क्षेत्रीय भाषाओं में जानकारी देने की कोशिश
झारखण्ड में आबादी का एक बड़ा हिस्सा आदिवासी समाज का है। यही वजह है कि हो, मुंडारी, कुडुख, सादरी, संताली, नागपुरी, पंचपरगनिया, खोरठा समेत अन्य जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं के माध्यम से जागरूक किया जा रहा है। प्रदेश में टीकाकरण अभियान शुरू होने के बाद सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती सुदूरवर्ती क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों को वैक्सीन के प्रति जागरूक करना था। देश के अन्य हिस्सों की तरह झारखण्ड भी टीकाकरण से जुड़े मिथकों और भ्रम से प्रभावित हुआ । इसे देखते हुए राज्य सरकार ने सघन जागरूकता अभियान शुरू किया। अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि वे यह सुनिश्चित करें कि लोगों के बीच कोई अफवाह न फैले। जागरूकता अभियान में क्षेत्रीय भाषाओं का इस्तेमाल किया गया। पंचायत प्रतिनिधियों से सहयोग लिया गया। मुख्यमंत्री ने स्वयं पंचायत प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर अपने-अपने क्षेत्र में लोगों में जागरूकता लाने को कहा। राज्य भर के उपायुक्तों को फील्ड विजिट करने, ग्रामपंचायत प्रतिनिधियों के साथ बैठक करने और सामाजिक स्तर पर जागरूकता अभियान में हिस्सा लेने का निर्देश दिया गया। सरकार ने जन जागरूकता पैदा करने और टीकाकरण अभियान को जनांदोलन में बदलने के लिए संचार के सभी माध्यमों का इस्तेमाल किया।

सोशल मोबिलाईजर की टीम का हुआ निर्माण
राज्य के हर जिले और प्रखंड में एनएचएम द्वारा मास्टर ट्रेनर बनने के लिए सोशल मोबिलाईजर की टीम को प्रशिक्षित किया गया। इन मास्टर प्रशिक्षकों ने आगे एएनएम, साहिया दीदी और अन्य हितधारकों को पंचायत और गांव स्तर पर सामाजिक सोशल मोबिलाईजर बनाने के लिए प्रशिक्षित करने पर काम किया। एक ही समाज का हिस्सा होने के कारण उनके लिए स्थानीय आबादी से जुड़ना आसान था। इस पहल से राज्य सरकार को अधिक लोगों को टीकाकरण के लिए प्रेरित करने में मदद मिली ।

सभी क्षेत्रीय भाषाओं में समाचार पत्र विज्ञापन
वैक्सीन से संबंधित भ्रम को दूर करना और टीकाकरण केंद्र तक लोगों को स्वतः ले जाना प्रशासन के लिए एक चुनौती पूर्ण कार्य था । मई में सरकार ने ओलचिकी, मुंडारी, हो, कुड़ुख जैसी बोली, भाषा और हिंदी में अखबारों के विज्ञापनों की एक श्रृंखला जारी की। ये विज्ञापन सभी स्थानीय और राष्ट्रीय अखबारों में प्रकाशित हुए थे। यह सरकार द्वारा की गई अपनी तरह की पहल थी, जहां वैक्सीन के लिए अखबारों में कई भाषा के विज्ञापन प्रकाशित किए गए हों ।

अधिकारीयों द्वारा क्षेत्रीय भाषाओं में अपील
क्षेत्र भ्रमण करने के अलावा सभी जिलों के उपायुक्तों ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से क्षेत्रीय भाषाओं में वीडियो जारी किए। ये वीडियो अलग-अलग व्हाट्सएप ग्रुपों के बीच प्रसारित किए गए थे। डोर टू डोर अभियान में शामिल सखी मंडल दीदी ने लोगों को टीकाकरण के लिए प्रेरित करने के लिए इन रिकॉर्ड किए गए वीडियो का इस्तेमाल किया । टीकाकरण के तथ्यों के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए कई भाषाओं में पोस्टर, बैनर, डिजिटल सूचनात्मक कार्ड की एक श्रृंखला भी बनाई गई थी । हिंदी के साथ-साथ अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी सभी पंचायतों में कई मिथक को ख़त्म करने वाले बैनर लगाए गए। साथ ही राज्य भर में कोविड उपयुक्त व्यवहार और टीकाकरण से संबंधित वॉल पेंटिंग को भी शामिल किया गया। इसके अलावा पांच विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में पम्पलेट साहिया द्वारा डोर टू डोर जागरूकता अभियान के दौरान वितरित किया गया था । प्रशासन ने राज्य के ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा और टेंपो पर चढ़कर स्पीकर से लोगों के बीच जागरूकता संबधी सन्देश देना आम था। स्थानीय भाषाओं में विकसित ऑडियो-विजुअल सामग्री भी टेलीविजन, रेडियो और अन्य संचार माध्यमों से प्रचार-प्रसार चल रहा है।

इस तरह राज्य सरकार ने टीकाकरण के लिए हर वो प्रयास किया, जिससे लोगों में टीके के प्रति फैले भ्रम को दूर कर अधिक से अधिक लोगों का टीकाकरण सुनिश्चित किया जा सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share via