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बरियातू रोड को लेकर सरकार का रवैया निराशाजनक : बाबूलाल मरांडी

रांची: झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखण्ड भाजपा विधायक दल के नेता श्री बाबूलाल मरांडी ने रांची के बरियातू रोड को लेकर सरकारी तंत्र के रवैये पर गहरी निराशा और क्षोभ का इजहार किया है| श्री मरांडी ने कहा की झारखंड सरकार एक तरफ तो गड्ढों से भरी इस खतरनाक हो चुकी सड़क की मरम्मत में रूचि तो दूर की बात और दूसरी तरफ जब नागरिक संगठन झारखण्ड सिविल सोसाइटी ने श्रमदान से सड़क की मरम्मत का जो काम शुरू की तो प्रशासन ने उसे रोक दिया| श्री मरांडी ने मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन से इस मामले में व्यक्तिगत रूचि लेकर सड़क की अविलम्ब मरम्मत कराने और नागरिक संगठन झारखण्ड सिविल सोसायटी की पहल को प्रोत्साहित करने की मांग की है|
श्री मरांडी ने कहा कि बरियातू रोड की कहानी कोई नई नहीं है पथ निर्माण विभाग से नगर विकास विभाग ने अपने हाथ में लिया था| इस सड़क को स्मार्ट रोड बनाया जाना था लेकिन हुआ ठीक उलटा| इस सड़क की मरम्मत लम्बे समय से नहीं हुई है और लम्बे समय से ये रोड बदनाम रहा है| जब लोगों ने शिकायतें शुरू की तो धूमकेतु की तरह एक दिन अचानक नगर विकास सचिव सड़क पर प्रकट हुए और उन्होंने कह दिया कि सड़क पर बस छोटे-मोटे गड्ढे हैं| कांटाटोली की स्थिति देखकर भी उन्होंने कह दिया कि यातायात सुचारू है, जनता को कोई दिक्कत नहीं है|
ये उनका सोचना हो सकता है लेकिन एक आम आदमी जो स्कूटर पर चलता है और जिसकी पत्नी गड्ढे की वजह से गिरती है, उसको पता चलता है कि सड़क की हालत कितनी खराब है| जो लोग महंगी गाड़ियों में काला शीशा चढ़ाकर चलते हैं उन्हें उनकी महंगी गाड़ी का सोफेस्टिकेटेड शॉक एबजॉर्बर गड्ढों का एहसास नहीं होने देता, इसलिए वे आम आदमी का दर्द समझ भी नहीं पाते| इस तरह से आम आदमी का मज़ाक नहीं बनाया जाना चाहिए|
झारखण्ड सिविल सोसायटी ने एक संकेत दे दिया है कि अब लोग चुप नहीं बैठनेवाले| सिविल सोसायटी की आज की कार्रवाई दरअसल सरकार को आईना दिखाने की कोशिश है| सरकार को ऐसे लोगों की तारीफ़ करनी चाहिए, ऐसी पहलों को सराहा जाना चाहिए| लेकिन आज प्रशासन का जो रवैया रहा और जिस तरह श्रमदान से, बिना ट्रैफिक को डिस्टर्ब किये, बरियातू रोड के गड्ढों की मरम्मत कर रहे लोगों को रोका गया, आशंका होती है कि प्रशासन इनके साथ अलग-अलग बहाने से कोई पीड़क कार्रवाई न करे|
सरकार ऐसे मसलों पर कैसे काम करना चाहती है, सबको पता है| चर्चा है कि इस सड़क की मरम्मत के लिए टेंडर होगा| यदि वाकई ऐसा है तो सारी प्रक्रिया पूरी होने में महीनों निकल जायेंगे और तबतक लोग गड्ढों भरी सड़क पर जोखिम और तकलीफ बर्दाश्त कर चलने को मजबूर किये जायेंगे|
अच्छा खासा कांटाटोली फ्लाईओवर बन रहा था उसे तो अधर में लटका दिया गया है और ट्रैफिक को तकलीफदेह बना दिया गया है| अब नए सिरे से अरबों की योजना बन रही है जो पता नहीं कब शुरू होगी और कब पूरी होगी|
अफसरों से मुझे संवेदनशीलता की ख़ास उम्मीद नहीं और उनके द्वारा जन भावनाओं का मजाक उड़ाना मुझे ज्यादा अस्वाभाविक नहीं लगता| लेकिन जनता के बीच से आनेवाले राजनीतिक दलों और प्रदेश के राजनैतिक नेतृत्व से मैं अवश्य संवेदनशीलता की अपेक्षा करता हूं| मुख्यमंत्री जी से उम्मीद है कि वे संवेदनशीलता दिखायेंगे और जनता को अधिकारियों के हवाले नहीं छोड़ देंगे, कि सारे निर्णय वही लें|

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