ग्रामीण जान देगे लेकिन जमीन और घर नहीं छोड़ेंगे.
बोकारो : आज हम आपको झारखंड के बोकारो जिला का हरला थाना के क्षेत्र अंतर्गत नन पंचायत गाँव धनधरी लेकर चलते हैं। यह गाँव इस्पात नगर स्टेशन से महज 200 मीटर की दूरी पर बसा हुआ। इस गाँव मे अधिकतर अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के ग्रामीण अपनी कई पीढ़ियों से गुजर बसर करते रहे हैं। जहां रेलवे द्वारा विकास कार्य करने और रेलवे लाईन को चौड़ीकरण करने के लिए ग्रामीणों पर प्रहार करते हुए घरो को खाली करने का नोटिस थमा दिया गया हैं। जिसको लेकर एव नोटिस को पाकर 19 घरों के ग्रामीण लोग इस नोटिस के प्रहार से भयभीत है।
आप को इस गाँव की सबसे बड़ी समस्या से अवगत कराते हैं।आपको बता दे की इसके पूर्व भी 1984 में रेलवे द्वारा 16 घरों को नोटिस दिया गया था तथा घरों को खाली कराया गया।।और गाँव का सीना चीरते हुए रेलवे द्वारा लाईन बिछाया गया। ग्रामीणों की जमीन रेलवे द्वारा जबरन कब्जा किया गया है। उस समय रेलवे द्वारा मौखिक रूप से जमीन का मुआवजा तथा रेलवे में नोकरी देने की सहमति बनी थी। लेकिन आज तक नहीं जमीन का मुआवजा मिला।नहीं नोकरी मिली।पुनः अब दुबारा रेलवे द्वारा 19 घरों के लोगों को दिनाक – 20 -1- 2021 को नोटिस के माध्यम से घरों को खाली करने का आदेश दिया गया है।
गाँव मे वर्सो से गुजर बसर कर रहे युवा ग्रामीण कमाल खान का कहना है की रेलवे द्वारा गलत तरीके से नोटिस भेजा गया है।रेलवे को खाली पड़ी जमीन से रेलवे लाईन लेकर जाना था।पहले रेलवे द्वारा 1984 में 16 घरों को उजाड़ा गया।अभी फिर 19 घरों को घर हटाने के लिए नोटिस किया गया है।ऐसा ही होता रहा तो एक दिन रेलवे द्वारा पूरा का पूरा धनघरी गाँव उजड़ जाएगा।हमारे गाँव मे आज भी 200 साल पुराना घर है।आज तक हमलोगों को अस्थाई रूप से नहीं बसाया गया।रेलवे हमारी जमीन हमसे गोली मार कर छीन ले।रेलवे से हम लड़ तो नहीं सकते।हम पुनर्वास की मांग कर रहे हैं।हमे पहले बसाया जाय।रेलवे पढ़े लिखे ग्रामीणों को मुख्य धारा से जोड़कर नहीं रखना चाहती है।
गाँव मे अपने परिवार के साथ गुजर बसर कर अपनी जीविका चलाने वाली ग्रामीण महिला ने कहा की रेलवे हमलोगों को घर से बेघर कर रहा है।हम सब अपनी जान दे देंगे। किन्तु अपना जमीन और घर छोड़कर कही नहीं जायेंगे। हम जाए तो आखिर कहा जाय। वहीं रेलवे द्वारा जारी किए गए नोटिस को देखकर यह कहा जा सकता है।की रेलवे अपनी विकास कार्यो को लेकर जमीन एव 19 घरों को खाली कराने का मूड बना चुकी है वही नोटिस पाए ग्रामीण भी अब पुनर्वास की मांग को लेकर डटे हुए हैं। ग्रामीण कह रहे हैं कि जान भले ही दे देंगे।जमीन और घर नहीं छोड़ेंगे।
बोकारो, बृज भूषण द्विवेदी