तुम आग बनो तो मैं पानी बन जाऊंगा : आचार्य प्रसन्न सागर महाराज.
गिरीडीह : तुम आग बनो तो मैं पानी बन जाऊंगा, उक्त बातें आचार्य प्रसन्न सागर महाराज ने मंगलवार को शाश्वत तीर्थराज सम्मेद शिखर के तलहटी में, आचार्य प्रसन्न सागर महाराज 44 दिवसीय कल्याण मंदिर जिन महा अर्चना के तहत भक्तों को संबोधित करते हुए कह रहे थे,उन्होंने कहा कि दांपत्य जीवन व पारिवारिक जीवन में आपसी तालमेल बनाकर चलना जरूरी है।कबीर ने कहा है कि मेरा तुम्हारे लिए एक ही उपदेश देश हैं। जीवन में तर्क को कभी महत्व ना देना। क्योंकि तर्क नर्क है और समर्पण स्वर्ग है। एक सूत्र दे रहा हूं जिसे सदा याद रखना और वह सूत्र है, जहां तर्क है वहां नर्क है,जहां समर्पण हैं वहां स्वर्ग है।
उन्होंने कहा श्रद्धा उत्सव है, समर्पण महोत्सव है। समर्पण से जीवन संवरता है।समर्पण से सुने जीवन में खिल खिलाहट आ जाती है, वीराने में हरियाली छा जाती है।अहंकार अकड़न है,अहंकारी का कोई मित्र नहीं होता और यदि तुम हाथ जोड़ कर सिर झुका कर जीने लग जाओ, तो फिर कोई तुम्हारा दुश्मन नहीं रह पाएगा।समर्पण दुश्मनी को दोस्ती में बदल देतीं है और अहंकार मित्रता में दरार पैदा कर देता है। अंतरमाना भारत गौरव आचार्य प्रसन्न सागर महाराज कह रहे थे अगर तुम अपने घर को स्वर्ग बनाना चाहते हो तो,पति और पत्नी को,बाप और बेटे को,सास और बहू को,जेठानी और देवरानी को, भाई और बहन को आपस में एक समझौता करना पड़ेगा। जब एक आग बने तो दूसरा पानी बन जाए। यह जीवन का एक सूत्र है।
पति-पत्नी को जीवन की खुशहाली और स्वर्ग के लिए यह समझौता करना आज के परिवेश में आवश्यक हो गया है। शादी के वक्त बर और वधू से पंण्डित के द्वारा सात सात वचन भरवाए जाते हैं। मैं समझता हूं जो वचन भरवाये जाते हैं वह पुराने हो गए हैं, वे अप्रासंगिक हो गए हैं। वे बचन पिट गए हैं, मर चुके हैं। समय के बदलते रुख को देखकर इन बचनो में परिवर्तन किया जाना चाहिए। कि इस सदी के लिए नए वचन तैयार कर रहा हूं। उन नये बचनो में पहला वचन है,शादी के समय दूल्हा दुल्हन आपस में कहेगें, हे देवी अगर मैं कभी क्रोध में आग बनू तो तुम पानी बन जाना। पर तुम आग बनोगी तो मै पानी बन जाऊंगा इस समझौते से तुम्हारे जीवन में स्वर्ग उतर आएगा।
गिरिडीह, दिनेश