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केंद्र सरकार चुनावों में फर्जी वोटिंग रोकने के लिए Aadhaar Card नंबर को वोटिंग लिस्ट और Voter ID कार्डसे जोड़ने की योजना बनायी जा रही है.

केंद्र सरकार चुनावों में फर्जी वोटिंग रोकने की कवायद में जुट गयी है. खबर है कि एक ही व्यक्ति के एक से ज्यादा जगहों पर वोटिंग लिस्ट में रजिस्ट्रेशन और बोगस वोटिंग रोकने के लिए Aadhaar Card नंबर को वोटिंग लिस्ट और Voter ID कार्डसे जोड़ने की योजना बनायी जा रही है. संभावना जताई जा रही है अगले साल पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद इसकी घोषणा की जा सकती है,

कानूनों में कुछ बदलाव लाने होंगे
सूत्रों के अनुसार, सरकार इसके लिए तैयार है लेकिन पहले उसे कानूनों में कुछ बदलाव लाने होंगे. साथ ही डाटा सुरक्षा का फ्रेमवर्क तैयार करना होगा. जानकारों के मानना है कि मोदी सरकार के लिए यह कदम इतना आसान नहीं होगा. इसमें कानूनी पचड़ा पैदा हो सकता है. इस कारण सरकार इस पर पांच राज्यों के चुनाव संपन्न होने के बाद माथापच्ची करेगी. वोटिंग लिस्ट को आधार नंबर से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (Representation of the People Act) के साथ आधार अधिनियम में संशोधन करना होगा.

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क्योंकि साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने आधार अधिनियम की वैधता पर अपने फैसले में कहा था कि 12 अंकों की आईडी का इस्तेमाल केवल सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का फायदा लेने और अन्य सुविधाओं के लिए किया जायेगा.

सरकार ने डाटा प्रोटेक्शन बिल तैयार किया है,
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर सरकार वोटर लिस्ट को आधार इकोसिस्टम से जोड़ना चाहती है तो उसे इसके लिए कानूनी मदद लेनी होगी. उच्च न्यायालय ने 2019 में गोपनीयता को मौलिक अधिकार घोषित करते हुए सरकार से डेटा सुरक्षा के लिए कानून बनाने के लिए कहा था. जिसके बाद सरकार ने डाटा प्रोटेक्शन बिल तैयार किया है, फिलहाल इस पर संसदीय समिति विचार कर रही है.

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वोटिंग लिस्ट को आधार इकोसिस्टम डायरेक्ट नहीं जोड़ा जायेगा
जानकारों का मानना है कि वोटिंग लिस्ट को आधार इकोसिस्टम डायरेक्ट नहीं जोड़ा जायेगा बल्कि इसके वेरिफिकेशन के लिए OTP सिस्टम का इस्तेमाल किया जायेगा. ऐसा करने से दोनों डाटा का मिलान नहीं होगा और न ही वोटर सिस्टम को टैप किया जायेगा. सूत्रों के अनुसार कि इस सिस्टम का बड़े पैमाने पर टेस्ट किया जायेगा, सभी पहलुओं पर खरा उतरने के बाद ही लिंकिंग की कार्रवाई शुरू की जायेगी.

जान लें कि 2015 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आने से पहले तक चुनाव आयोग बड़ी संख्या में वोटर आईडी को आधार से लिंक कर चुका था, कोर्ट के आदेश के बाद इस कार्यक्रम पर ब्रेक लगा

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